…एक छोटी सी फरियाद|…


एक छोटी सी फरियाद करता हूँ मैं तुझसे भगवान|
कुछ नही बस बना दो इंसान को अब इंसान |
शामों सुबह दिखती है सिर्फ़ नफ़रत की पाठशाला |
हर जगह मिलता है मंज़र हैरान कर देने वाला |
एक छोटी सी फरियाद करता हूँ मैं तुझसे भगवान |
कुछ नही बस बना दो इंसान को अब इंसान |

भीड़ मे सिर्फ़ चेहरे दिखाई देते हैं |
इंसान ही एक दूसरे के दुश्मन बने फिरते हैं |
बन गयी दुनिया एक ऐसा बाज़ार |
जहाँ सब कुछ हो रहा है तार तार |
एक छोटी सी फरियाद करता हूँ मैं तुझसे भगवान |
कुछ नही बस बना दो इंसान को अब इंसान |

wish

भक्ति भी गयी और देशभक्ति भी गयी |
मानवता सोई की सोई ही रह गयी |
आँखो से तो प्रकृति की सुंदरता दिखाई देती है |
बुरे कर्म इतने हैं की उसकी सुंदरता भी फीकी नज़र आती है |
एक छोटी सी फरियाद करता हूँ मैं तुझसे भगवान |
कुछ नही बस बना दो इंसान को अब इंसान |

घाव पर नमक छिरकने का कारवाँ बढ़ता ही जा रहा है |
अपनी ही जनँनी की दूध मे ज़हर मिलने का क्रम चलता जा रहा है |
धरती भी कांपति है ऐसी वातावरण को देखकर |
चुप रह जाती है वो सिर्फ़ और सिर्फ़ खुद को कोसकर |
बदले की आग मे जल के लोग बदल गये |
इंसान के बदले हैवान बन गये |
भूल गये सब धर्म और कर्म |
नहीं रहा किसी मे अब कोई मर्म |
इंसानियत गयी मानवता चकनाचूर हो गयी |
दया और नेकी काफूर हो गयी |
इसलिए…
एक छोटी सी फरियाद करता हूँ मैं तुझसे भगवान |
कुछ नही बस बना दो इंसान को अब इंसान |

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Note : This is the 75th post of this blog… 🙂

 – Ashish Kumar

36 thoughts on “…एक छोटी सी फरियाद|…

  1. bahut hi sundar vichar hai, par ye kalpanaa me hi thik hai..jitna satya pyar hai utna hi nafrat aur dono humesha rahenge…
    bahut accha likha hai aapne, likhte rahiye, pyar bantiye pyar milega 🙂

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    1. Thank you so much for appreciating the poem… I am glad to know that it is being appreciated by a writer like you who is a master of creating epic poems… thank you so much… 🙂

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