अकेलेपन का अपना ही अलग मज़ा है |
लोग क्यूँ कहते इसे एक सज़ा है |
अपने आप से बात करने का मौका मिलता है |
खुद को परखने का अवसर दिखता है |
सब से बात करके अब खुद से बात करना चाहिए.
अकेलेपन का कुछ फायदा तो उठाना चाहिए.
किया बहुत सबने चिंतन और मनन.
अब करते हैं कुछ आत्म मंथन.
अकेले रहना कोई नही चाहता |
जो चाहिए वो हमेशा नही मिलता |
जब कभी अकेले होने का एहसास होता है |
दिल सिसकता है और रोता है |
अकेलेपन मे कोई अपना नही होता है |
पर ये भी सच है…
अकेले रहकर अकेलेपन को मारने मे मज़ा बहुत आता है |
मज़ा बहुत आता है…
– Ashish Kumar