विडंबना है मानव निर्मित दुनिया की।
विडंबना है मानव निर्देशित दुनिया की।
मानव रहित जग में मानवता शून्य हो रही है।
इंसानों में इंसानियत होना एक स्वपन हो गई है।
प्रतिस्पर्धा के इस दौर में इंसान बहुत आगे निकल गए।
अफ़सोस सिर्फ इतना है …
मानवता और इंसानियत पीछे छोर गए |
– Ashish Kumar