भूल कर जिसे हमने भूला, फिर याद आए आप।
जिंदगी की इस डाली पर, छोड़ गए अमिट छाप।
मौसम के मिजाज़ को बदलने की कोशिश कभी हमने भी की थी।
आग लगाकर जाने वाले, आग बुझाने की कोशिश हमने की थी।
आग तो बुझ गई पर तपिश बरक़रार है।
जो दर्द दिया था आपने , वो आज भी सहज बरक़रार है |
मौसम बदला , हम भी बदले पर न बदले आप।
भूल कर जिसे हमने भूला, फिर याद आए आप।
जिंदगी की इस डाली पर, छोड़ गए अमिट छाप।
– Ashish Kumar