Shayari – 10


विडंबना है मानव निर्मित दुनिया की।

विडंबना है मानव निर्देशित दुनिया की।

मानव रहित जग में मानवता शून्य हो रही है।

इंसानों में इंसानियत होना एक स्वपन हो गई है।

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में इंसान बहुत आगे निकल गए।

अफ़सोस सिर्फ इतना है …

मानवता और इंसानियत पीछे छोर गए |

– Ashish Kumar

30 thoughts on “Shayari – 10

  1. आज मानव कोंन धरा पर
    कोंन मनुष्य है यहा
    कोंन है आज इंसान धरा
    प्राणी विभाजित हैं यहाँ।।

    पृथ्वी का है पहला प्राणी
    जो तीन भागों बटा यहा
    मानव मनुष्य और इंसान
    उस प्राणी को कहते हैं यहां।।

    Today humans are on earth
    Who is a man
    Who is today a human being
    The beings are divided here.

    Earth’s first creature
    Which divided into three parts
    Humans humans and humans
    That creature is called here.

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