सच्चे दिल से |


कल तुम्हे देखा था मैने |
कुछ इस नज़र से |
जैसे चाहने लगा हूँ तुम्हे |
सच्चे दिल से |
तुम्हारे चेहरे से झलकती मासूमियत |
मुझे खींचती है तुम्हारी ओर |
तुम्हारे होठों का सिसकना |
मुझे ले जाता है तुम्हारी ओर |
भूल जाता हूँ मैं सारे ग़म |
मैं और तुम अब बन जाए “हम” |

चेहरे पे असमंजस है ,
पर दिल मे कुछ और है |
ज़बान कुछ कहती है ,
पर आँखों मे कुछ और ही है |
साफ झलकता है प्यार ,
तुम्हारी आँखों से |
होठों की कश्मकश वो बताती है,
जो महसूस करती हो तुम…
अपने दिल की धड़कनो मे |

जब तुम पास रहती हो,
अछा लगता है |
दूर जाने की बात करके तुम,
मुझे क्यूँ सताती हो |
रूको कहो अपने दिल की |
सुन लो कुछ…
मेरे भी दिल की |
तुम्हारी नज़र कहती है,
मैं तुम्हारा हूँ |
मैं कहता हूँ की…
तुम मेरी हो |
तुम चाहती हो इस कदर से |
पर रोकती हो दिल को अपनी ज़ुबान से |
अब खेलना बंद करो |
कहना है जो सो कह दो |
रोको न खुद को मुझसे |
क्यूंकी…
चाहता हूँ मैं तुम्हे |
सच्चे दिल से…
सच्चे दिल से…

– Ashish Kumar

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