इस दुनिया में |


इस दुनिया में हर रोज़,
लोग मिलते हैं अजीबो ग़रीब स्वाभाव के |
पल पल रंग बदलती ये दुनिया,
ना जाने कब अपनी करवट बदल ले |
पर क्यू कम ही मिलते हैं लोग, 
जो होते हैं मिलनसार व्यवहार के |

इस दुनिया में,
भीड़ तो है हर जगह |
हर तरफ लोगों का ताँता लगा रहता है |
सारा संसार भरा हुआ है, जगह खाली नही |
पर क्यूँ ऐसा होता है,
लोगों की भीड़ मे अपनापन खोजना परता है |

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रघुपति राघव राजा राम |
लोग भूल गये करने अच्छे काम |
धर्म गया और कर्म गया |
ममता के लिए अब कोई मर्म न रहा |
इस दुनिया मे कभी कभी,
ऐसा भी होता है |
जो अपना होता है, वो ही दुश्मन बन जाता है |

इस दुनिया मे ही,
हमें जीना है |
सब कुछ यहीं करना है |
कभी हसना है तो कभी रोना है |
दूसरों को नही रुलाना है |
धूप और छाँव से खेलना है |
खुशियों को गले लगाना है |
दुखों को मिटाना है |
कभी संभलना है तो कभी संभालना है |
मानवता की सेवा करके,
मानवता को बचना है |
क्यूंकी…
इस दुनिया मे ही,
हमें जीना है |

life ups

 – Ashish Kumar

26 thoughts on “इस दुनिया में |

  1. Wow Sir.. Bahut khoob likha hai..
    Sometimes we feel lonely in crowd, because we lack humanity. We are just breathing. Not living. Most of them has forgot to live, and just act that they are happy. True, isi duniya me hume jeena hai..

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